लखनऊ: दिनांक: 23 अगस्त, 2023
उ.प्र. रेरा के प्रयासों से प्रोमोटर ‘मेसर्स वेव वन प्रा.लि.’ की गौतम बुद्ध नगर स्थित ‘वेव वन‘ परियोजना के एक आवंटी “श्री फिरोज अली‘‘ को विलंब अवधि का ब्याज का समायोजन शेष बकाया राशि में कराते हुए 6 वर्षों बाद इकाई का कब्जा दिलवाया।
प्रोमोटर ने आवंटी के पक्ष में प्राधिकरण से जारी ‘आदेश का अनुपालन‘ करते हुए एग्रीमेन्ट फॉर सेल के अनुरूप इकाई का कब्जा दिया तथा कब्जा देने में हुए विलम्ब के ब्याज का समायोजन शेष बकाया राशि में किया जिससे आवंटी की देनदारी न्यूनतम करा दी गई। दोनों पक्षों के मध्य हुए समझौते के अनुसार आवंटी को केवल रुपये 6 लाख 85 हजार का भुगतान करना होगा और कब्जा लेने की प्रक्रिया पूर्ण करनी होगी। जबकि अंतिम बकाया राशि लगभग 18 लाख थी।
उ.प्र. रेरा से वसूली प्रमाण पत्र जारी होने के आदेश के बाद प्रोमोटर ने आवंटी के समक्ष समझौते का प्रस्ताव रखा था जिसके अनुसार इकाई का कब्जा और कब्जा मिलने में हुई देरी का ब्याज देना शामिल था। आवंटी ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए समझौता पत्रध् एग्रीमेन्ट पर हस्ताक्षर कर लिया तथा प्रोमोटर ने इसकी एक प्रतिलिपि प्राधिकरण में जमा कर दी। लगभग 6 वर्ष बाद इकाई का कब्जा तथा विलम्ब अवधि का ब्याज का समायोजन अंतिम मांग राशि मने होने से आवंटी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना की। उ.प्र. रेरा से जारी आदेशों एवं कन्सिलीऐशन फोरम के माध्यम से लगभग 7400 से ज्यादा मामलों में लगभग रुपये 2,925 करोड़ मूल्य की परिसंपत्तियों को विवाद मुक्त कराया गया है।
राजस्थान प्रदेश के निवासी, फिरोज अली ने प्रोमोटर की व्यावसायिक परियोजना वेव वन में लगभग रुपये 66 लाख के लागत की एक इकाई हेतु वर्ष 2013 में लगभग रुपये 48 लाख का भुगतान किया था। ‘एग्रीमेन्ट फॉर सेल‘ के अनुसार आवंटी को वर्ष 2017 तक कब्जा प्राप्त होना था। लेकिन तय समय तक इकाई का कब्जा न मिलने और संतोषजनक निर्माण प्राप्त न होने की स्थिति में आवंटी ने 2021 में उ.प्र. रेरा में शिकायत (एनसीआर144/02/70767/2021) दर्ज करके निवेशित धनराशि वापस दिलाने की मांग की थी। सुनवाई में पारित आदेश आवंटी के पक्ष में आया था जिसका अनुपलान प्रोमोटर द्वारा किया जाना था।
आवंटी ने पारित आदेश का कार्यान्वन सुनिश्चित करवाने हेतु पोर्टल पर ऑनलाइन ‘आदेश का अनुपालन कराने का अनुरोध‘ दर्ज किया था। मामले में अग्रिम सुनवाई करते हुए प्राधिकरण ने प्रोमोटर के विरुद्ध ‘वसूली प्रमाण पत्र‘ जारी करने का आदेश दिया था। इसी बीच प्रोमोटर द्वारा परियोजना पूर्ण होने के उपरान्त आवंटी को कब्जा देने का प्रस्ताव दिया गया जिससे विवाद का आपसे समझौते से समाधान सम्पन्न हो गया।
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