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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आयोजित की ”जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त” विषय पर संगोष्ठी

भारतीय रिज़र्व बैंक, लखनऊ ने 14 जुलाई 2023 को “जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त (Climate Risk and Sustainable Finance)” पर एक संगोष्ठी का आयोजन होटल ताज महल, लखनऊ में किया। यह कार्यक्रम भारतीय रिज़र्व बैंक की जलवायु संबंधी पहलों और हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट “मुद्रा और वित्त संबंधी रिपोर्ट: 2022-23” की थीम “हरित और स्वच्छ भारत की ओर” की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया। यह रिपोर्ट देश की समष्टिगत-वित्तीय संभावनाओं के लिए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों और जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए उपलब्ध नीति विकल्पों के दायरे को रेखांकित करती है।

2. प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक, लखनऊ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. बालु केंचप्पा ने जलवायु जोखिमों से निपटने और धारणीय वित्त को बढ़ावा देने में सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर श्री एम. राजेश्वर राव का महत्वपूर्ण संबोधन था और इसके बाद इस विषय पर ज्ञानपरक पैनल चर्चा हुई। श्री राव ने संपोषणीय और निम्न-कार्बन वाले भविष्य की ओर अग्रसर होने की अत्यधिक आवश्यकता और बहुआयामी दृष्टिकोण की अपेक्षा पर जोर दिया जिसमें सरकारें, निजी क्षेत्र की संस्थाएं, वित्तीय संस्थान और नागरिक समाज संगठन शामिल हों। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले जोखिमों के प्रति वित्तीय क्षेत्र की प्रतिक्रिया को आकार देने में केंद्रीय बैंकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई विनियामक कार्रवाइयों, जैसे हरित जमाराशियों के लिए रूपरेखा और सरकारी हरित बांड जारी करने के समर्थन को भी रेखांकित किया। ये पहलें वित्तीय क्षेत्र को हरित बनाने और टिकाऊ अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में सक्षम करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं।

3. उप गवर्नर ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में राज्य सरकार के प्रयासों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन ज्ञान पोर्टल (यूपीसीसीकेपी) की स्थापना और अप्रैल 2023 में जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय सम्मेलन के आयोजन की भी सराहना की।

4. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से श्री मनोज सिंह, एसीएस, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीओईएफसीसी) ने भी प्रासंगिक पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए और इस बात पर जोर दिया कि जलवायु जोखिम को कम करना और धारणीय वित्त को बढ़ावा देना समय की मांग है।

5. आघात-सहनीयता का निर्माण: जलवायु जोखिम को वित्तीय निर्णय लेने में एकीकृत करना (Building Resilience: Integrating Climate Risk into Financial Decision Making)” विषय पर पैनल चर्चा में राज्य सरकार, निजी क्षेत्र और वाणिज्यिक बैंकों के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हुए, जिन्होंने विचारोत्तेजक परिचर्चा की। पैनल चर्चा का संचालन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक श्री अश्विनी कुमार तिवारी ने किया। पैनल में श्री आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, उ. प्र. सरकार; डॉ. के. वी. राजू, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार, उ. प्र. सरकार; और श्री लाबन्या प्रकाश जेना, प्रमुख, सेंटर फॉर सस्टेनेबल फाइनेंस, क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव, दिल्ली भी शामिल थे। पैनलिस्टों ने महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला जिसमें जलवायु जोखिम के परिणाम; सतत विकास में वित्तीय संस्थानों की भूमिका, और विभिन्न हितधारकों द्वारा शुरू की जा सकने वाली कार्रवाइयां शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की गयी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति जलवायु आपातकाल बन गई है और सभी स्तरों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

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