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गिरमिटियों ने त्रिनिदाद का आर्थिक परिदृश्य बदल डाला : हेमराज रामदाथ

लखनऊ। ट्रिनिडाडियन लेखक और गिरमिटिया भारतीयों के वंशज हेमराज रामदाथ की पुस्तक ‘बियॉन्ड इंडेंट्योरशिप इंडो-ट्रिनिडाडियन एंटरप्रेन्योर्स’ का विमोचन लखनऊ विश्वविद्यालय के टैगोर लाइब्रेरी परिसर में हुआ। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय के पश्चिमी इतिहास विभाग ने किया।हेमराज रामदाथ ने कहा कि, यह पुस्तक इंडो-ट्रिनिडाडियन परिवारों के अटूट दृढ़ संकल्प और उद्यमशीलता की भावना को एक श्रद्धांजलि है। इसमें 33 पारिवारिक स्वामित्व वाले व्यवसायों पर प्रकाश डाला गया है जिन्होंने अत्यधिक गरीबी के बावजूद न केवल अपने जीवन को बल्कि त्रिनिदाद और टोबैगो के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को भी बदल दिया है।रामदाथ ने कहा, गिरमिटिया भारतीय वे भारतीय थे जिन्हें औपनिवेशिक देशों द्वारा एक अनुबंध पर औपनिवेशिक बागानों में काम करने के लिए भेजा गया था। ये गिरमिटिया भारतीय अपनी मितव्ययिता और बचत की आदत के कारण त्रिनिदाद और अन्य देशों में, जहां भी वे गए, उद्यमी बन गए। यह पुस्तक हमारे पूर्वजों को एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने अपने उद्यमशीलता कौशल से महान ऊंचाइयां हासिल कीं। त्रिनिदाद और टोबैगो की वृद्धि और विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान निर्विवाद है, और उनकी उपलब्धियां जश्न मनाने लायक हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के संरक्षण में कार्यक्रम का आयोजन पश्चिमी इतिहास विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कला संकाय के डीन प्रो. अरविंद अवस्थी, टैगोर लाइब्रेरी और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर, रिसर्च स्कालर्स और छात्र शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन पश्चिमी इतिहास विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्चना तिवारी ने किया।

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