लखनऊ। जन उद्घोष सेवा संस्थान द्वारा लखनऊ के विश्वेश्वरैया सभागार में ज्ञानवापी मंदिर मॉडल एवं ज्ञानवापी परिसर से जुड़े प्रतीक चिन्हों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें अयोध्या, ज्ञानवापी, मथुरा, भोजशाला (म. प्र.) प्रकरण से जुड़े वादीगण, अधिवक्ता एवं आंदोलनकारियो की उपस्थिति में एक भव्य एवं महत्वपूर्ण बौद्धिक आयोजन किया गया। आयोजन में देश के अलग अलग क्षेत्रों से आए विद्वतजनों ने भारत के समक्ष आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं विधिक चुनौतियों जैसी विभिन्न समस्याओं तथा उनके समाधान पर चर्चा की।
अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि हमें अब अपने सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को वापस लेने की रणनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ाना है और आताताइयों एवं विधर्मियों ने धर्मसंस्कृति पर प्रहार कर जिस प्रकार हिंदुओं को अपमानित किया है अब समय आ गया है हम हिंदू अपने गौरव को पुनः प्राप्त करें।
कार्यक्रम संयोजक कुलदीप तिवारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि अयोध्या में श्रीरामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है अब काशी मथुरा के साथ साथ भोजशाला का इतिहास विश्व के कोने कोने तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि अब हमें हिंदुराष्ट्र के नए संविधान को लिखने की तैयारी करनी है और बॉलीवुड के सनातन विरोधी षड़यंत्र को तोड़ना है। प्रो. पवन सिन्हा ने कहा कि हमारे विचार स्पष्ट होने चाहिए एवं विचारों को स्पष्टता से रखने का साहस होना चाहिए, मध्यमार्गी विचारों वाले लोग अवसरवादी होते हैं। कथावाचक प्रेमभूषण जी ने कहा कि सकारात्मक विचारों के साथ धर्म संस्कृति संरक्षण हेतु हनुमान जी और वीरवर लक्ष्मण के चरित्रों का अनुसरण व अनुकरण करना होगा। लक्ष्मणपुर संवाद आयोजन के माध्यम से लखनऊ को लक्ष्मणपुर घोषित किए जाने की मांग की गई। अयोध्या, वाराणसी, मथुरा एवं मध्यप्रदेश भोजशाला केसों से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया और यह घोषणा की गई कि धर्म संस्कृति संरक्षण के इस अभियान को पूरे देश में फैलाया जायेगा। कॉन्वेंट एवं मिशनरीज स्कूलों में किस प्रकार बच्चों को अपने सनातन धर्म से दूर किया जा रहा है, और तरह तरह से हिंदुओं का धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है इस पर लोगों ने प्रखरता से अपने विचार रखे। लक्ष्मी मणि शास्त्री ने युवाओं को नशामुक्त कर आध्यात्मिक चेतना का संचार करना, तथा उचित सम्मानजनक वेशभूषा अपनाने पर बल दिया। श्रीराम कथा वाचक प्रेम भूषण महाराज को जन उद्घोष सेवा संस्थान द्वारा ‘श्रीराम रत्न’ सम्मान से विभूषित किया गया।रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य, प्रो. पवन सिन्हा, अधिवक्ता हरिशंकर जैन, साहित्यकार नीरजा माधव, कथा वाचक लक्ष्मी मणि शास्त्री, प्रो. विशेष नारायण मिश्र को अवध मार्तंड सम्मान से अलंकृत किया गया।
डॉ. राम प्रसाद सिंह ने मंदिर मॉडल का विवरण दिया। आयोजन में आए लोगों के लिए आदिमहादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास द्वारा निर्मित ज्ञानवापी मंदिर मॉडल और प्रतीक चिन्हों की प्रदर्शनी बड़ी उत्सुकता का केंद्र बनी रही। वाराणसी से संजीव त्रिपाठी, अनुराग त्रिवेदी, सुनील अग्रवाल, बांके लाल, प्रशांत अग्रवाल एवं राकेश अग्रवाल की उपस्थिति रही।
