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सिनेमा ज़िन्दगी से अलग नहीं है वह अवध की विरासत है- मुजफफर अली

लखनऊ। अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज (AIIS) में ” हिंदुस्तानी फिल्मों में तहजीब ए अवध” पुस्तक का लोकार्पण करते हुए प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक , फैशन डिजाइनर, पेंटर और समाज सेवी मुजफ्फर अली ने कहा कि सिनेमा ज़िंदगी से अलग नहीं है और जो अवध की विरासत है उसे संजोए रखने में फिल्मों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उर्दू और अवध की नफासत और नजाकत की जो आज दुनिया में पहचान बनी है उसमें हिंदी फिल्मों का बहुत रोल रहा है। यह पुस्तक मूल उर्दू में लिखी गई थी मुंतजिर कायमी द्वारा और हिंदी में डॉ प्रार्थना सिंह द्वारा अनुवाद किया गया है। प्रसिद्ध इतिहासकार और अवध संस्कृति के विशेषज्ञ डॉ रोशन तकी ने बताया कि अंग्रेजों ने जो उपनिवेशिक छवि बना कर रखी थी फिल्मों में इसका प्रभाव दिखता है यह इतिहासकारों का दायित्व है कि वह सच को सामने लाएं। डॉ मुन्तजिर कायमी ने कार्यक्रम का आगाज़ करते हुए मुजफ्फर अली का स्वागत किया। मुजफ्फर अली की आत्मकथा “ज़िक्र ” पर परिचर्चा की गई जो अंग्रेजी में पेंग्विन इंडिया द्वारा प्रकाशित हुई थी जिसमें अवध का फिल्म से संबंध और अवध के फिल्म, गीत, संगीत के विभिन्न पहलुओं पर मुजफ्फर अली की दृष्टि से विचार किया गया है। कार्यक्रम का संचालन ए आई आई एस के डायरेक्टर डॉ एहतेशाम खां ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रार्थना सिंह द्वारा किया गया।

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